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बहू जिस घर में रह रही है वह घर सांझा घर है या नहीं, यह तय करने का अधिकार  केवल Protection of Woman from Domestic Violence Act 2005 के तहत गठित सक्षम  न्यायालय को ही है:- सर्वोच्च न्यायालय।

Adv. Dilip Kumar by Adv. Dilip Kumar
January 22, 2021
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Civil Appeal No. 3822/2020
Date of Judgement- 15.12.2020
Smt S. XXXXXXXXX (Wife) ……………………………….. Appellant
Versus
Deputy Commissioner Bengaluru & others ……… Respondents

बहू जिस घर में रह रही है वह घर सांझा घर है या नहीं, यह तय करने का अधिकार  केवल Protection of Woman from Domestic Violence Act 2005 के तहत गठित सक्षम  न्यायालय को ही है:- सर्वोच्च न्यायालय।

Appellant (पत्नी) और Respondent No. 04 (पति) की शादी दिनांक 30.05.2002 को हिन्दू रीति-रिवाज के अनुसार सम्पन्न हुई थी। शादी के कुछ दिनों बाद पति ने वह मकान खरीदा था, जिसमें वर्तमान में पत्नी रह रही है। पति के अनुसार उक्त घर खरीदते  समय उनके पिता, (जिनको इसके बाद इस आलेख में ससुर कहा जाएगा) ने सहयोग किया था। दिनांक 05.10.2006 को पुत्र ने उक्त घर को अपने पिता को दान में दे दिया। इसीबीच अपिलार्थी पत्नी को एक पुत्री का जन्म हुआ। वर्ष 2009 में पति ने अपनी पत्नी के विरुद्ध विवाह-विच्छेद का वाद प्रस्तुत किया। और कुछ ही समय बाद ससुर ने उक्त घर को अपनी पत्नी यानि अपिलार्थी के सास को अंतरित कर दिया। दिनांक 17.08.2010 को सास ने बहू को घर से निकालने का वाद प्रस्तुत किया जो सिविल न्यायालय में लंबित है। दिनांक 05.12.2013 को पति द्वारा विवाह विच्छेद का वाद प्रधान न्यायाधीश परिवार न्यायालय द्वारा स्वीकृत हो गया। दिनांक 19.03.2014 को पत्नी ने पति के विरुद्ध भरण-पोषण का वाद प्रस्तुत किया और विवाह विच्छेद की डिक्री के विरुद्ध कर्नाटक उच्च न्यायालय में अपील प्रस्तुत किया।

वर्ष 2015 में सास-ससुर ने Maintenance & Welfare of Parents and Senior Citizen Act 2007 के तहत बहू को घर से निकालने का वाद Assistant Commissioner के यहाँ प्रस्तुत किया, जिसमें Assistant Commissioner नें निर्णय दिया कि चूंकि उक्त भवन सास की स्वअर्जित संपत्ति है अतः बहू को घर से निकालने का आदेश पारित किया।

बहू द्वारा अपील किए जाने पर Deputy Commissioner ने भी बहू को घर से निकालने के आदेश में हस्तक्षेप करने से मना कर दिया।

बहू ने Deputy Commissioner के आदेश को कर्नाटक उच्च न्यायालय में चुनौती दिया। माननीय कर्नाटक उच्च न्यायालय ने भी Deputy Commissioner के आदेश को सही ठहराया, फलतः बहू नें सर्वोच्च न्यायालय में अपील प्रस्तुत किया।

दिनांक 15.12.2020 को माननीय सर्वोच्च न्यायालय नें व्यवस्था दिया कि वह घर जिसमें  बहू रह रही है वह Shared House है या नहीं यह निर्णय करने की शक्ति केवल और केवल Protection of Woman from Domestic Violence Act 2005 के तहत गठित सक्षम न्यायालय को है। बहू के इस अधिकार को Summary Power प्राप्त फोरम द्वारा निर्णीत नहीं किया जा सकता है।

माननीय सर्वोच्च न्यायालय इस अवलोकन के साथ Deputy Commissioner और माननीय कर्नाटक उच्च न्यायालय के उस निर्णय को जिसमें बहू को घर से निकालने का  आदेश दिया था उसे निरस्त कर दिया।

माननीय सर्वोच्च न्यायालय के विस्तृत निर्णय के लिए नीचे लिंक क्लिक करें।

https://www.disputeeater.in/

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